लोकतंत्र के सबसे पहले पायदान यानी कि स

लोकतंत्र के सबसे पहले पायदान यानी कि स्थानीय निकाय,

लोकतंत्र के सबसे पहले पायदान यानी कि स्थानीय निकाय, भष्ट्राचार एवं अकर्मण्यता का केन्द्र बन गए हैं। स्थानीय निकायों के चुनाव का एक मात्र सहारा हथियार एवं गोला बारुद है। वैसे तो दिल्ली नगर निगम जैसे स्थानीय निकाय दर्जनों भर तरीकों से टैक्स वसूलते हैं, लेकिन कर्तव्य निर्वाह में पूरी तरह शून्य हैं। स्थानीय निकायों का प्रमुख कार्य सफाई एवं सड़क व्यवस्था है। और दिल्ली में एवं अन्य नगरों एवं कस्बो में दोनो ही कार्य अदृश्य हैं, न तो सफाई होती है और सड़कें तो बस भगवान ही मालिक है। स्थानीय निकाय एक राजनीतिक मंच हो कर रह गई है जबकि इनका कार्य एक सुविधा प्रबंध करने वाली कम्पनी का है। राज्य सरकारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए तथा स्थानीय निकाय नुकसान के स्थान पर मुनाफा कमाने वाली संस्था बननी चाहिए क्योंकि आधुनिक युग में तो कूड़ा भी मूल्यवान है। 

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